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आङ्ग्कार स्त्रोत
प्रश्नकर्ता:
वैभव
| 15/03/2024 | 11:20 PM
सूचना
कृपया अग्ङ्कार स्त्रोत के बारे में बताएं। क्या यह मंगल गृह से संबन्धित है?
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डॉ. विवेकानन्द पाण्डेय
26/09/2024 | 09:43 PM
श्री अंगारक स्तोत्रम्<br />
<br />
अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।<br />
कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥१॥<br />
<br />
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।<br />
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥२॥<br />
<br />
सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।<br />
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥३॥<br />
<br />
रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।<br />
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥४॥<br />
<br />
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।<br />
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥५॥<br />
<br />
वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः, <br />
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।<br />
सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥६॥<br />
<br />
<br />
अंगारक स्त्रोत्र मंगल ग्रह से सम्बन्धित है । इसके जप से मंगलग्रह शान्त होता है ।
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अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।<br />
कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥१॥<br />
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ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।<br />
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥२॥<br />
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सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।<br />
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥३॥<br />
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रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।<br />
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥४॥<br />
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ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।<br />
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥५॥<br />
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वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः, <br />
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।<br />
सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥६॥<br />
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अंगारक स्त्रोत्र मंगल ग्रह से सम्बन्धित है । इसके जप से मंगलग्रह शान्त होता है ।